मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
छोड़े के ना परित कबहूं आपन घर दुआर।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
अपनन से बिछड़े के कबो दरद ना होइत।
बीवी-बचवन के याद कर के दिल ना रोइत।
आपन घरे दुआरे सभे सुख चैन से सोइत।
अपनो भी घरे करित कोई हर साँझ में इंतजार।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
घर में आपन लोग के आंख के सोझा रहित।
घरे उहे सब पाकित जवन जवन ऊ कहित।
सभ के घर परिवार में प्रेम के गंगा खूबे बहित।
हंसी खुशी मनित सभ के घर में परब तेहवार।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
आपन सरकार के गंभीरता से एह पर सोचे के चाहिँ।
बिहार में सभे के खातिर रोज़गार होखे के चाहिँ।
ईहांवा के सभे लोग के पलायन जरूर रोके के चाहिँ।
उम्मीद बा सरकार करी ई सब पर ठीक से विचार।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
भाई पलायन के दरद त हमहूं कम ना सहतानी।
लगातार तेईस साल से कुवैत में हम रहतानी।
एही से हम आज ई बात आपन सबसे कहतानी।
हमार लइका पर ना पड़े कबों ई पलायन के मार।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
बिहार के लोग के किस्मत तबे जाके जागी।
जब कल कारखाना बिहार में हर जगह लागी।
तब काहे कोई बिहार छोड़ के एने ओने भागी।
खुशहाल होखित “ताज” आपन गांव जवार।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।
छोड़े के ना परित कबहूं आपन घर दुआर।
मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार।