यारों से गद्दारी अच्छी नहीं होती-मुकेश यादव

इतनी खुद्दारी अच्छी नहीं होती,
यारों से गद्दारी अच्छी नहीं होती।

दोस्त का दुश्मन, दुश्मन होता है,
उससे अय्यारी अच्छी नहीं होती।

गर उस्ताद हो, यार जादूगरी का,
कलाकारी उससे अच्छी नहीं होती।

सुधरना है तो अभी से सुधर जा,
दिल की बीमारी अच्छी नहीं होती।

हाथ पकड़ा है तो छोड़ना क्यों है,
इतनी भी नादानी अच्छी नहीं होती।

इस बस्ती में यहाँ घर है सभी के,
हाथों में चिंगारी अच्छी नहीं होती।

‘भावुक’ काम न आए देश के जो,
ऐसी भी जवानी अच्छी नहीं होती।

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