ठूंठ जिनगी में पहिला, बहार आइल बा-सन्तोष विश्वकर्मा ‘सूर्य’ 

ठूंठ जिनगी में पहिला, बहार आइल बा।
जइसे सावन के रिमझिम, फुहार आइल बा।

फल ई मेहनत के देखऽ, हमार आइल बा।
जनि देखऽ की फोटो, चटकार आइल बा।

सोल जूतवन के केतने, खियाइल हवे,
जी हजूरी से ना ई,निखार आइल बा।

स्वेद माथा के हमरा ना देखऽलऽ कबो,
तहरा लागऽता असहीं, बहार आइल बा।

बड़िये मेहनत भइल ,कुछऊ पावे बदे,
खाली किस्मत से ना ई, सुतार आइल बा।

द्वेष ईर्ष्या जलन, मन में भरले हवे,
तंज कसला के तहरा, लहार आइल बा।

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