जहाँ जातिवाद रही,
ऊँहा विवाद होइबे करी!
जिंदगी जिएके बा सांति से त,
कुछु बात साच बोली जन, चुपे रही!
एगो बात जिंदगी से शिख ली.. २
जेतना दोसर के जियावेके सोचेम ,
ऊहे एक दिन तोहरा के मार दी!
जेकरा जजबात में सूलगम ज्यादा… २ समझ न सकेम कबो ओकर बुरा इरादा!
ऊ एक न एक दिन चुलीहे में जार दी।
जेकर फटल चेथरी सीयत रहल?
ऊ तोहर शियल फार दि!
जेकर झोपरि के महल बनवलअ ,
सब से झंझट कर के, देखिहअ
इहे दोस्त काबो जातिवाद के चक्कर मे ,
तोहर महल जईसन झोपरि के भी ऊजार दी!
निमन बाऊर् बतिया तोहर केहु ना सुनी… २
धर के तोहरा के सब चार, दी!
जहाँ जातिवाद रही…… २
ऊँहा विवाद होईबे करी!
गहरा रिस्ता केतनो होई, …. २
लोग ऊँहा भी सोंख मे होई?
गर्मी में ललकारत होई,
अपन जातिवाद के बढावत् होई!
जहाँ जातिवाद रही… २
ऊँहा विवाद होइबे, ही , होइबे करी!