जब पांचवा क्लास मे पढ़वत रहले गुरु जी?
बतीआ ऊँनकर आज भी याद बा!
एक विधार्थी के कहले रहलन?
पढ़नत भाईस चरईब पुटकी मे बीयाहल जईब !
ससुरारी भाईस पे चढ़ी जईब,
सासु से गरियावाल जईब!
पांचवा मे पढावत रहले गुरु जी,
बतीआ ऊनके याद बा!
एक लड़की के कहले रहलन?
पढ़अ मन लगा के ना की ,
हम चूर्कि तोहर ऊखार दी!
सून के गुरुजी के बात के ऊ लाइकी ,
चुरकी बांधल छोर देली ,
डर के मारे गुरु जी के,
बाल छोट करी आवे लगली!
गुरु जी के डार के कुछ दिन चलल अच्छा !
फिर वहिंगा ना पढ़े केहु ठीक से,
गुरु जी पढ़ावत रहलन एक कहानी,
लड़का लड़की करे लागल क्लास मे,
अपन मनमानी!
गुरु जी फिर रीसीआई बोलले जोर से,
आवतानी कान ममोर् के मुर्गा बना के ,
एक एक के बाहर छोर देम!
मुर्गा बनल बचवन के दिमाग मे वही दिन,
सर जी के बात घुस गईल,
खूब मन लगा के पढाई कइलक ,
और क्लास मे अवॉल् भइल।
पुटकी मे बीयाहल ना गईल!
ओके सरकारी नौकरी जब मिल गईल!
भाईस चढ़ी ना घोड़ा चढ़ी बारात गईल!
सास ना देहली गाड़ी, प्यार सम्मान देहली,
ऊनके आगारी!
यही से शिक्षा पा के नौकरी नौकरी ,
कला लड़का के मिले लड़की गोरी!
शिक्षा मे दम है सुनी अऊरी,
गुरु के ज्ञान के बीना ना होखे दुनिया अंजोर!
पचावां क्लास मे पढावत रहले गुरु जी,
बतिया ऊनके आज भी हमरा के याद बाटे!!