हाय मोबाइल!-रिशु कुमार गुप्ता

मोबाइल सोझा नकारा बन गइल बा
आदमी अब बेचारा बन गइल बा

पहुंना हित नात साथी संघाती
मोबाइले अब सहारा बन गइल बा

ओकरे हिसाब से खिलेला दुनिया
उहे गर्मी आ जाड़ा बन गइल बा

गरम भा ठंडा महसूस करावे
थर्मामीटर के पारा बन गइल बा

दिन रात बस रही निहारत
ई आंख के तारा बन गइल बा

पातर छीतर मोटापा बा थमले
ई काजू आ छुआरा बन गइल बा

इज्जत आ मर्यादा मोबाइल में
ई पतलून के नाड़ा बन गइल बा

बैंक बनल एटीएम बनल
ई टैक्सी के भाड़ा बन गइल बा

लइकन खातिर ई आंगनबाड़ी
ए बी सी डी पहाड़ा बन गइल बा

स्कूल कॉलेज से कम नइखे
कापी किताब सारा बन गइल बा

लोगवा देखीं लड़ेला अपने में
फोनवा अब अखाड़ा बन गइल बा

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