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राह चलत में देखऽ बोलावत बा लोग-कलामुद्दीन कमली

राह चलत में देखऽ बोलावत बा लोग
हांथ सलीका से अब मिलावत बा लोग

काल्ह तक केहू ओकरा के पूछत ना रहे
आज जबरन गले से लगावत बा लोग

होखे रुपया तबे तोहके पूछी सभे
इशारा में हम के समझावत बा लोग

आदमी के ईहा कवनो मोल नइखे होत
खाली पईसा के इज्ज़त बढ़ावत बा लोग

तनको जे बढ़े के आगे करब तू कोशिश
मारी झटका मुंह के भरे गिरावत बा लोग

सामने त‌ऽ करता सभे बढ़ बढ़ बड़ाई
आंख के अन्हे खूब गारीयावत बा लोग

छोड़ द कमली कईल उम्मीद दुनिया से
ईहां मजबूरी के फायदा उठावत बा लोग

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