जिंदगी के कवनो मोड़ पर उतर जाइब हम।
जे ना मिलबू तू, त एह में बिखर जाइब हम।
अब कहाँ बा तमन्ना हीरा-पन्ना, मोती के,
तोहरा एक मुस्कान पर ही सँवर जाइब हम।
माना कि मंज़िल बहुते दूर बा हमसे,
अब त तू ही बताव कि किधर जाइब हम।
एक रात सामने बईठ के पूछ लिहनी चाँद से,
का मुक्कदर में लिखल बा बिछड़ जाइब हम।
दुनिया हंसी उड़ाई, त उड़ावे द आज,
जे तू चहबू त आग में भी निखर जाइब हम।
कहाँ चले जिनगी अब ‘भावुक’ बनला से,
मन जब गावें बसल, त का शहर जाइब हम।