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दिल कइसे तोहसे हम लगाईं,
दिल चुरा लिहल केहू
हम कइसे तोहके आपन बनाई,
हमके आपन बना लिहल केहू।
प्रेम अइसन लागल कि अँजोरिया भइल,
हमरा मन के मंदिर के सांवरिया भइल।
दियरी कइसे हम नेह के जराई,
जब जरा दिहल केहू
हम कइसे तोहके आपन बनाई,
हमके आपन बना लिहल केहू।
खेत में पियर सरसों फुलाए लागल,
नाही देखनी त बरसों बुझाए लागल,
हम कइसे अपना दिल के समझाई,
जइसे समझा लिहल केहू
हम कइसे तोहके आपन बनाई,
हमके आपन बना लिहल केहू।
प्रेम पूरा भइल त अधूरा ना बा,
जे अधूरा भइल त धतूरा ना बा।
होके ‘भावुक’ हम कइसे कोहनाई,
जब मना लिहल केहू
हम कइसे तोहके आपन बनाई,
हमके आपन बना लिहल केहू।