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कपार के बार-राघवेंद्र प्रकाश ‘रघु’
1 day ago
लडकईये से चोन्हा के माहिर हईए ह चोन्हा खातिर खिंचाऊ हरदम"कपार के बार" दिन बीतत गईल अन्टी चालू रहलअन्टी से आंटी खिसियाके खिंचस"कपार के बार" पहुँचल...
नींद चैन नयनन मे नाही-किरन शर्मा
September 19, 2025
ताख पर एक दिया जलाये रखा हूँ-जमील मीर
September 19, 2025
उ एगो बेज़ान बूत रहल बा-डॉo यशवन्त केशोपुरी
September 16, 2025
मन में येतना मईल लेके-राज कुमार यादव
September 16, 2025
@thepurvaiya
हाय मोबाइल!-रिशु कुमार गुप्ता
September 16, 2025
आगे गोड़ बढ़ावऽ लोग-सन्तोष विश्वकर्मा ‘सूर्य
September 8, 2025
माई रे! – शम्श जमील
September 8, 2025
नारी बिना ना दीप जले, ना सजेला संसार-जियाउल हक
September 8, 2025
बेटी हवे आगे बढ़े ई लोग सब कहते रहे-माया शर्मा
September 8, 2025
कुल के मान बढ़ाई बेटी-नूरैंन अंसारी
September 8, 2025
चोट दिल पर लागल, ओही से देखा ना पवनी-किरन शर्मा
September 8, 2025
करे ला दुआ काम माई के-प्रीतम भट्ट
September 8, 2025
खर-जिउतिया : राघवेंद्र प्रकाश ‘रघु’
September 8, 2025
बेटी है धरती, तो कोख मे ही क्यों है मरती?-शोभा प्रसाद
September 8, 2025
काहे बिटीया ही होली पराई-किरन शर्मा
September 8, 2025
हम बिटिया हईं-जमील मीर
September 8, 2025
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