धीरे धीरे , सर सर बही पुरवइया
बात सबका दिल के कही पुरवइया
नया रचनाकार लोग के हउवे ई ठेहा
बहुत कुछ सिखेम आके एकरा छेहा
गीत,ग़ज़ल दोहा के रही भरमार
कविता में मिली व्यंजन हजार
हर घड़ी रउवा संग में रही पुरवइया
बात सबका दिल के कही पुरवइया
इहवा होई हमेशा ज्ञान में वृद्धि
माई भाखा के होइ अउर समृद्धि
गीत ,संगीत चाहे कौनो ग़ज़ल पर
खुल के होई चर्चा एह पटल पर
रउवा सब के चरण में ढही पुरवइया
निमन बाउर सब कुछ सही पुरवइया
साहित्य के मठा नियन मही पुरवइया
बात सबका दिल के कही पुरवइया