साँच कहीं तऽ आँच लगेला एंह दुनिया के
झूठ से कबले काम चलाई, बोला भाई
आपन ही बेगाना जस व्यवहार करेला
ग़ैर से काऽ उम्मीद लगाई, बोला भाई
पाथर पूजे वाली दुनिया जाने कबले
पूजी आपन बाबू – माई, बोला भाई
प्रेम नाम के चिरई पाल के करबा का तू
नफ़रत के आगे टिक पाई, बोला भाई
गुड़ के पानी जड़ में डाल के सोंचा तारें
नीम के कड़वाहट चल जाई, बोला भाई