दुख देखी-देखी अगुतऽइनी ए जिनगी,
जाल में अईसन अझुरऽइनी ए जिनगी।।
कमाए खातिर बहरा आ गईनी हम,
माई के अंचरवा से परऽइनी ए जिनगी।।
बुझे ना केहू इहाँ–दरद मोर करेजा के,
सबका ला बोझा हम भऽइनी ए जिनगी।।
खटत–खटत देह भइल सुख के ढाठा,
फूल जस देहिया गलऽइनी ए जिनगी।।
होला हुक तऽ–हम रोवेनी अलोता में,
तहरा ला निमन शिकार बनऽनी ए जिनगी।।
किताब के अच्छर पढ़ल लागे आसान,
अभी ले ना तहरा के पढ़ऽनी ए जिनगी।।