अँखियाँ से लोरवा हटा देवेलन बाबूजी,
हमार दुखवा आपन बना लेवेलन बाबूजी।।
छीन के सब हमार जीवन के टेंशन,
बिखरे से हमरा के बचा लेवेलन बाबूजी।।
आवेला बेयार जब घर प बिपत के,
सबका का ढाल बन जालन बाबूजी।।
करेले सबका ला सबकुछ ऊ दिल से,
पर बदला में कुछुओ न चाहेलन बाबूजी।।
जिनगी के राह में कबो आवे ना रोड़ा,
बढ़िया से चले सिखावेलन बाबूजी।।
इंसानियत से बड़ धरम कुछउ ना होला,
इंसानियत के पाठ पढ़ावेलन बाबूजी।।