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जे आपन रहे उ बेगाना भइल।
खुदे से मिलले जमाना भइल।
नया मे छाव-भाव बहुते रहल,
केहु पूछे न जबसे पुराना भइल।
लंगा पे केहु न अंगूरी उठावल,
अबर ही सकबर निशाना भइल।
पिरितिया के मत बूरा भला कह,
ईहे पावे बड़े पुलिस-थाना भइल।
‘नूरैन’ झूठ सदा मुनाफ़ा मे रहल,
आ साँच के हरदम हर्जाना भइल।
जे आपन रहे उ बेगाना भइल।
खुदे से मिलले जमाना भइल।