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जिनगी जंग ह, रोज जंग जारी रहे – मुकेश भावुक

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चलत जब ले जिनगी के गाड़ी रहे।
पैसा कौड़ी न कवनो उधारी रहे।

नेह-छोह असहीं बनल रहे हरदम,
कायम उमिर भर आपन यारी रहे।

होखे जरूरत त जानो बा हाजिर,
कहला-कइला में न दुश्वारी रहे।

बोवल जाई अब से भरोसे के खेती,
मन में न दुख कवनो भारी रहे।

हसत-खेलत काटीं नीमन समइया,
बुरा वक्त खातिर भी तैयारी रहे।

कवनो कहाँ अब डर-भय ‘भावुक’,
जिनगी जंग ह, रोज जंग जारी रहे।

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