तू लाख सितम मुझ पे कर ले – मुकेश भावुक

मैं हर इक ख़्वाब सजाता जरूर हूँ।
तू देख मैं पलटकर आता जरूर हूँ।

बड़े मशहूर है किस्से तेरी बेवफाई के,
मैं हाथ पकड़ लू तो निभाता जरूर हूँ

तू लाख सितम मुझ पे कर ले मगर
मेरी ख़ासियत है मुस्कुराता जरूर हूँ

दावा हैं मेरा तुम मुझे भूलकर देखों
लम्हा कोई भी हो याद आता जरूर हूँ

बेशक फूल तुझे तोहफ़े में दे ना पाउ
पर काँटे तुम्हारे राहो का उठाता जरूर हूँ

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