ढेर सांच के माटी में सनल ठीक नइखे-रिशु कुमार गुप्ता

ढेर सांच के माटी में सनल ठीक नइखे,
ई झूठ के दुनिया में सतवादी बनल ठीक नइखे।

सुनीं सभकर बात, बाकि करीं अपना दिल के,
विस्वास करीं इ दुनिया के चलन ठीक नइखे।

जेने जाता दुनिया के गाड़ी ओने ओने रउवा जाई,
अकेल होके कगरी चलल ठीक नइखे।

अच्छा संघे अच्छा रहीं बुरा संघे बुरा,
एक भाव सबका संघे करल ठीक नइखे।

रंग जे बदलऽ ता रउवो रंग बदले सिखीं,
ढेर सांच के रंग में ढलल ठीक नइखे।

जब जइसन तब तइसन रहीं रउवा,
अकेले भभकत आग में जरल ठीक नइखे।

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