बतिया केहू के खल जाला-शम्श जमील

बतिया केहू के खल जाला
इरखा मन मे हल जाला

शक रहेला दुश्मन पर जी
आपन ही केहू छल जाला

केहू जोर लगावे बाकिर
दाल केहू के गल जाला

नया पर धन होखे जहिया
घमंड आपरूपी पल जाला

पावे के जब लकम बा धरत
खोवे के आदत टल जाला

मेहनत से भाग बदलेला केहू
बपौति से हाथ केहू मल जाला

बुढ़वती के चिंता करते करते
जवानी के सुरूज ढल जाला

एह दुनिया से हाथ पसारी
आदमी एकदिन चल जाला

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