उ एगो बेज़ान बूत रहल बा-डॉo यशवन्त केशोपुरी

संघर्ष के क्षण में सुत रहल बा।
उ एगो बेज़ान बूत रहल बा।

हरावे के प्रयत्न व्यर्थ बा ओके,
जे पहिलहीं से अभिभूत रहल बा।

ढ़ाल ल खुद के ओह साँचा में,
जहवाँ जईसन रुत रहल बा।

उनका से दु कोस दूरे रह,
जे नशा में धुत रहल बा।

बरतिह हमेशा सतर्कता ए “यश”,
जे मुँह से नफ़रत मूत रहल बा।

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