जाता ढेका के गइल जुग-जमील मीर 

जाता ढेका के गइल जुग।
तबे देही मे बा पचास गो दुख।।

सतुआ भुजा के ना कौनो ठेकाना बा
चौमीन बरगर के जमाना बा

दुसरे के देख के भइल बा हुंक।
तबे नु देही मे बा पचास गो दुख।।

कपारे पर अंचरा नइखे, फैशन के जमाना बा
दुसर केहू हीत बा, आपन बेगाना बा

दवाई केतनो कराइं लागे नाही भूख।
तबे नु बा देही मे पचास गो दुख।।

फलाना के ढेकाना के बतियावल जाता कुचराई
बात बिगड़ले पर होता अनघा थुराई

देखल जात नइखे दुसरे के सुख।
तबे नु देही मे बा पचास गो दुख।।

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