माटी जननी, माटी धरोहर,
माटी में बसल पूरा जीवन।
ई माटी से तन बनल बा,
ई माटी से प्रीत लागल बा
बचपन के खेला, माटी के कोड़ी,
माटी में लुकल प्रेम के जोड़ी।
जब माटी आपन बुलावेला,
मनवा के सब पीर भगावेला।
माटी बिना ना खेत लहराई,
माटी बिना ना अन्न उपजाई।
माटी त धरती के सच्चा गहना ह,
माटी से जग के सारा भूख मिट जाई।