बेगाना हमके आपार समझ बइठल
जर ना धइलस,बेमार समझ बइठल
सियासत से छोट, सवाल का पुछनी
लोग मुल्क के गद्दार समझ बइठल
दू चार बेर उनका नजर का अइनी
नकारा,निर्लज,बेकार समझ बइठल
भेद कतनो घर के दबा के रखनी तबो
केहू दुश्मन के तरफदार समझ बइठल
घर मे तनी उनके हम जघे का दिहनी
हमरे के उ किरायेदार समझ बइठल
भुखे पेट आइल हुटकी पर हुटकी
दुनिया गैस के ढ़ाकार समझ बइठल
तनी मुनी जबान पर ताला का लागल
लोग अपने के होशियार समझ बइठल