نتائج العلامات : Tazuddin Ansari

मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार-ताजुद्दीन अंसारी

छोड़े के ना परित कबहूं आपन घर दुआर।मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार। अपनन से बिछड़े के कबो दरद ना होइत।बीवी-बचवन...

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मिलित अगर सभे के बिहार में ही रोज़गार-ताजुद्दीन अंसारी

छोड़े के ना परित कबहूं आपन घर दुआर।मिलित अगर...

आदमी अब बेचारा बन गइल बा-रिशु कुमार गुप्ता

मोबाइल फोन, जो कभी सिर्फ ज़रूरत की चीज़ था, आज इंसानों की ज़िंदगी पर हावी हो गया है। इंसान खुद सोचने-समझने वाला जीव था, लेकिन अब मोबाइल पर निर्भर होकर बेबस और बेचारा बन गया है।

पईसा…. राघवेन्द्र प्रकाश “रघु”

पईसा बिना लोग देखअ,एक देने तड़पे।खाए के ना अन्न...

ये बीबीसी लंदन है अब “था” हो गइल– मुकेश यादव

यह न्यूज़ स्टोरी 01 फरवरी 2011 को भोजपुरी पोर्टल 'अंजोरिया' पर प्रकाशित हुई थी।

हमहि से प्रेम, हमहि से छुपावे के बा-मुकेश यादव

उसका मक़सद ही शायद मुझे तड़पाना है, क्योंकि उसके व्यवहार में दर्द ज़्यादा और अपनापन कम महसूस होता है। वो प्यार भी मुझसे ही करता है, और उसी प्यार को मुझसे छिपाता भी है — जैसे प्यार स्वीकारना उसकी कमजोरी हो।
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